धनंजय महापात्रा, नई दिल्ली
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए एक जवाब में कहा है कि उसका चरित्र सेक्युलर है, इसलिए वह 2001 के भूकंप और 2002 के दंगों में टूटे धर्मस्थलों को फिर से नहीं बना सकती है। गुजरात सरकार ने कोर्ट से कहा है कि उसे ऐसा करने के लिए नहीं कहा जा सकता है।
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए अडिशनल सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस दीपक मिश्र और पीसी पंत की बेंच से कहा कि राज्य ने एक सेक्युलर पॉलिसी अपनाई है। इसके तहत टैक्सपेयर्स के पैसे को धार्मिक स्थानों के पुनर्निमाण में नहीं लगाया जाएगा।
ब्लॉग पढ़ें: सिरों को गिनकर दिलों को काटने की कोशिश
दरअसल, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 2002 के दंगों में टूटे धर्मस्थलों को बनाने को कहा था। इस पर मेहता का कहना था, '2001 के भूकंप में कई धर्मस्थल क्षतिग्रस्त हुए, लेकिन राज्य ने इनका पुनर्निमाण न करने की नीति अपनाई।' उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक महत्व के धर्मस्थलों का पुनर्निमाण और देखभाल आर्कियॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करेगा, बाकियों का संबंधित समुदाय करेंगे।
गुजरात के एनजीओ इस्लामिक रिलीफ सेंटर की ओर से पेश हुए सीनियर ऐडवोकेट यूसुफ मुचाला ने कहा कि राज्य सरकार ने एक ओर तो 2002 में सांप्रदायिक भीड़ से अल्पसंख्यकों को बचाने का कर्तव्य नहीं निभाया, दूसरी ओर अब उनके धर्मस्थलों के पुनर्निमाण से बचने के लिए सेक्युलर कार्ड का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि धर्मस्थलों की रक्षा करना सरकार की सेक्युलर ड्यूटी है। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ही 11 जजों की बेंच के फैसले का हवाला दिया कि भारत में राज्य और धर्म के बीच स्पष्ट विभाजन नहीं है।
उन्होंने कहा, 'इसलिए हज यात्रा पर छूट दी जाती है।' बेंच ने कहा कि संविधान की धारा 27, जैसा कि 11 जजों की बेंच ने भी व्याख्या की थी, राज्य को किसी धर्म के प्रसार का खर्च लेने कानून लागू करने से नहीं रोकता है। बेंच ने पूछा, 'इस मामले में न तो संसद और न ही राज्य ने कानून लागू किया है और राज्य ने टैक्सपेयर्स के पैसे से धर्मस्थलों का पुनर्निमाण न करने का फैसला किया है तो क्या इस पर सुप्रीम कोर्ट दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त धर्मस्थलों के पुनर्निमाण का आदेश राज्य को दे सकता है?' कोर्ट ने मुचाला से अपने तर्कों की और व्याख्या करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें- Gujarat: State secular, can’t restore damaged shrines
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए एक जवाब में कहा है कि उसका चरित्र सेक्युलर है, इसलिए वह 2001 के भूकंप और 2002 के दंगों में टूटे धर्मस्थलों को फिर से नहीं बना सकती है। गुजरात सरकार ने कोर्ट से कहा है कि उसे ऐसा करने के लिए नहीं कहा जा सकता है।
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए अडिशनल सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस दीपक मिश्र और पीसी पंत की बेंच से कहा कि राज्य ने एक सेक्युलर पॉलिसी अपनाई है। इसके तहत टैक्सपेयर्स के पैसे को धार्मिक स्थानों के पुनर्निमाण में नहीं लगाया जाएगा।
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दरअसल, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 2002 के दंगों में टूटे धर्मस्थलों को बनाने को कहा था। इस पर मेहता का कहना था, '2001 के भूकंप में कई धर्मस्थल क्षतिग्रस्त हुए, लेकिन राज्य ने इनका पुनर्निमाण न करने की नीति अपनाई।' उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक महत्व के धर्मस्थलों का पुनर्निमाण और देखभाल आर्कियॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करेगा, बाकियों का संबंधित समुदाय करेंगे।
गुजरात के एनजीओ इस्लामिक रिलीफ सेंटर की ओर से पेश हुए सीनियर ऐडवोकेट यूसुफ मुचाला ने कहा कि राज्य सरकार ने एक ओर तो 2002 में सांप्रदायिक भीड़ से अल्पसंख्यकों को बचाने का कर्तव्य नहीं निभाया, दूसरी ओर अब उनके धर्मस्थलों के पुनर्निमाण से बचने के लिए सेक्युलर कार्ड का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि धर्मस्थलों की रक्षा करना सरकार की सेक्युलर ड्यूटी है। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ही 11 जजों की बेंच के फैसले का हवाला दिया कि भारत में राज्य और धर्म के बीच स्पष्ट विभाजन नहीं है।
उन्होंने कहा, 'इसलिए हज यात्रा पर छूट दी जाती है।' बेंच ने कहा कि संविधान की धारा 27, जैसा कि 11 जजों की बेंच ने भी व्याख्या की थी, राज्य को किसी धर्म के प्रसार का खर्च लेने कानून लागू करने से नहीं रोकता है। बेंच ने पूछा, 'इस मामले में न तो संसद और न ही राज्य ने कानून लागू किया है और राज्य ने टैक्सपेयर्स के पैसे से धर्मस्थलों का पुनर्निमाण न करने का फैसला किया है तो क्या इस पर सुप्रीम कोर्ट दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त धर्मस्थलों के पुनर्निमाण का आदेश राज्य को दे सकता है?' कोर्ट ने मुचाला से अपने तर्कों की और व्याख्या करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
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