अगर आप शांती अपने जीवन मी चाहते है तो पढे सूरए माएदा की 16वीं आयत|

श्वर इस (प्रकाश और स्पष्ट करने वाली किताब) के माध्यम से, उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने का प्रयास करने वालों को शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित मा...


श्वर इस (प्रकाश और स्पष्ट करने वाली किताब) के माध्यम से, उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने का प्रयास करने वालों को शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित मार्गों की ओर ले जाता है और अपनी कृपा से उन्हें अंधकार से प्रकाश में लाता है और सीधे रास्ते की ओर उनका मार्गदर्शन करता है। (5:16)

 इस आयत में ईश्वर कहता है कि मार्गदर्शन स्वीकार करने की कुछ शर्तें हैं। इन शर्तों में सबसे महत्तवपूर्ण सत्य की खोज करना और उसे मानना है। क़ुरआने मजीद का मार्गदर्शन वही स्वीकार करेगा जो सांसारिक धन-दौलत और पद की प्राप्ति तथा आंतरिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रयासरत न हो बल्कि केवल सत्य का अनुसरण और ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करना चाहता हो।
यह शर्त यदि व्यवहारिक हो जाए तो फिर ईश्वर उसे पाप और पथभ्रष्टता के अंधकारों से निकालकर ईमान और शिष्ट कर्मों के प्रकाशमयी रास्ते की ओर उसका मार्गदर्शन करेगा। स्वभाविक है कि यह मार्गदर्शन हर ख़तरे में मनुष्य और उसके परिवार की आत्मा व विचारों की रक्षा करता है और प्रलय में भी मनुष्य को ईश्वर के शांतिपूर्ण स्वर्ग में सुरक्षित ले जाएगा।

इस आयत से हमने सीखा कि शांति एवं सुरक्षा तक पहुंचना ईश्वरीय मार्ग के अनुसरण पर निर्भर है और क़ुरआन इस मार्ग पर पहुंचने तथा अंतिम गंतव्य तक जाने का माध्यम है। मनुष्य केवल आसमानी धर्मों की छत्रछाया में ही एक दूसरे के साथ शांतिपूर्ण ढंग और प्रेम के साथ रह सकता है।मनुष्य को ईश्वर तक पहुंचाने वाले कार्य विभिन्न हैं। भला कर्म हर काल में सभी लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है परन्तु लक्ष्य यदि ईश्वर की प्रसन्नता की प्राप्ति हो तो सब एक ही मार्ग पर जाकर मिलते हैं और वह सेराते मुस्तक़ीम का सीधा मार्ग है।




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