जौनपुर गौरव: जौनपुर को पूरी दुनियां पहुंचाने काम किया एसएम मासूम ने

जौनपुर जिले को विश्व स्तर पर पहचान बनाने में एस.एम. मासूम का बहुत बड़ा हाथ माना जाता है आज से 15 वर्ष पूर्व गुगल पर  सर्च करने पर जौनपुर का नामो निशान नही मिलता था जिसको देखते हुए मासूम साहब ने सन् 2009 में हमारा जौनपुर जौनपुर सिटी डाॅट इन नामक वेब साईट खुद बनाकर उस पर जौनपुर के ऐतिहासिक इमारतो की तस्वीर और इतिहास लिखा तो पूरी दुनियां शिराज ए हिन्द जौनपुर के बारे जानने पहचानने लगी है।

आज आपकी इस  शिराज ए हिन्द डाॅट न्यूज वेब साईट ने जो मुकाम हासिल किया है उसका मुख्य श्रेय मासूम साहब को जाता है। मासूम साहब ने इस वेब साईट को  बनाकर मुझे सम्प्रेम भेट करने के बाद वेब साईट चलाने का ए बी सी डी सिखाया। उनका बस एक ही उद्देश्य रहा कि जौनपुर की खबरे पूरी दुनियां तक पहुंच सके जिससे अपना वतन छोड़कर बाहर रहने वाले लोगो को अपने जिले की खबर  मिलती रहे।

जौनपुर को श्री एस एम् मासूम जी  पे गर्व है जिन्होंने यहाँ के लोगों को ,पत्रकारों को सोशल  मीडिया की जानकारी दी | आज  जो भी   जौनपुर की न्यूज़ या ऐतिहासिक वेबसाइट आपके सामने है वो या तो एस एम् मासूम जी का योगदान है या उनके जागरूक करने का नतीजा है |

एसएम मासूम का जन्म जौनपुर नगर के पानदरीबा बाजार भुआ मोहल्ले में 26 अगस्त 1960 को एक जमींदार परिवार में हुआ था उनके पिता रेलवे में इंजिनियर थे जिसके कारण उनका बचपन बहुत ही मजे में बीता पढ़ाई लिखाई में कोई  दिक्कत की बात नही थी। उनकी शिक्षा दीक्षा वाराणसी और लखनऊ में हुआ। विज्ञान की स्नातक की डिग्री लेकर वे बैंक में मैनेजर के पद पर मुंबई और बगलौर में कार्य किया। करीब 23 वर्ष तक बैंक की नौकरी करते करते उब गये तो उन्होने नौकरी छोड़कर बिजनेस शुरू कर दिया। साथ में कम्प्यूटर इण्टर नेट वेबसाईट हार्डवेयर का ज्ञान खुद से प्राप्त किया।


 हमारा जौनपुर हमारा गौरव
एस एम् मासूम जी 
बचपन से ही अपने वतन से दूर रहने के बाद भी मासूम साहब को अपनी जन्मभूमि से बेइतहां प्यार था। वे अपने जिले की सामाजिक सांस्कृति और इतिहास जानने के लिए सन् 2001-2002 में गुगल पर सर्च करना शुरू किया तो उन्हे कुछ भी नही मिला। बस यही से उन्होने ठान लिया कि मेरे जौनपुर का नाम भी पूरी दुनियां में फैले | उन्होने अपने वेब साईट बनाने के हुनर का इस्तेमाल करते हुए  2009 में हिन्दी वेबसाईट हमारा जौनपुर बनाया उसके  बाद इग्लिस वेबसाईट जौनपुर सिटी डाॅट इन बनाया। उसके बाद  जौनपुर का इतिहास और यहाँ की  ऐतिहासिक इमारतो की फोटो और यहां की प्रसिध्द चीजो को दोनो साईट पर पोस्ट किया तो जौनपुर नाम पूरी दुनियां में पहुंच गया।

मासूम साहब की इसी खोज के दरमियान एक दिन  मेरी  मुलाकात उनसे अपने कुछ  पत्रकार भाइयों के साथ  हो गयी।  मै पहले जौनपुर की खबरे को फेस बुक पर पोस्ट किया करता था। वे उसको पढ़कर अपने जिले की हाल खबर से प्रतिदिन रूबरू हो जाते थे। वे एक दिन जौनपुर आकर मुझसे मुलाकात किया पहली मुलाकात में तौर पर शिराज ए हिन्द डाॅट काम नामक वेबसाईट बनाकर भेट किया। उन्होने कहा कि अब इस वेबसाईट पर खबरो को पोस्ट किया करे। उनकी यह उदारता देखकर मैं दंग रह गया क्यो जब में किसी वेबसाईट बनाने वालो से बात किया तो काई 20 हजार रूपये मांगता था कोई चालिस हजार रूपये। मैने मासूम जी से कहा कि आप मेरे लिए इतना त्याग क्यो कर रहे तो उन्होने कहा कि यह आप के लिए नही जौनपुर के लिए किया है। मुझे पूरा भरोसा  है कि आप इसके माध्यम से जिले का नाम पूरी दुनियां में पहुंचा सकते है।

मासूम जी अब तक तीन हजार से अधिक वेबसाईट बना चुके है।इसके अलावा उन्हे ब्लागिग का भी काफी पुराना शौक है। वे अंग्रेजी में पिछले 17 वर्षो ब्लागिग करते आ रहे है और हिन्दी ब्लाग जगत में 2010 से कदम रखा है। वे इसके माध्यम से इंसानियत और एकता को बढ़वा देने का काम करते है।

उनके व्यक्तिगत ब्लॉग( www.smmasoom.com ) का मुख्य विषय सामाजिक सरोकार और विश्व में  अमन और शांति के लिए काम करना है और मासूम जी  सामाजिक सरोकारों पे ही लिखते हैं उनका   मानना यह है की बड़ा ब्लॉगर वही है जो शोहरत से , गन्दी राजनीती से दूर हट के समाज के लिए कुछ काम अपनी लेखनी का इस्तेमाल करते हुए  कर रहा है





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