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नहीं रहा रॉक गार्डन को रचने वाला अनूठा कलाकार

नवभारतटाइम्स.कॉम | 9 Oct 2018, 1:38 pm
  • नहीं रहा रॉक गार्डन को रचने वाला अनूठा कलाकार

    नहीं रहा रॉक गार्डन को रचने वाला अनूठा कलाकार

    चंडीगढ़ की पहचान रॉक गार्डन के संस्थापक और पद्मश्री नेक चंद का गुरुवार देर रात निधन हो गया। नेक चंद को दिल के दौरे के बाद पीजीआई में भर्ती कराया गया था। जहां उन्होंने देर रात आखिरी सांस ली। आखिरी दर्शनों के लिए उनके शव को शुक्रवार को रॉक गार्डन में रखा गया। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

    नेक चंद का जन्म शंकरगढ में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। बंटवारे के बाद वह और उनका परिवार पंजाब में आकर बस गए थे।

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    नेक चंद ने 1957 में एक छोटी सी गुपचुप पहल की थी, और करीब 18 सालों की अथक मेहनत से उन्होंने वेस्ट मटीरियल से 40 एकड़ में फैला एक पूरा बगीचा तैयार कर दिया। उन्होंने पंजाब के लोकनिर्माण विभाग में 1951 में सडक निरीक्षक के तौर पर काम करते हुए प्रसिद्ध सुखना झील के निकट जंगल के एक छोटे से हिस्से को साफ करके औद्योगिक और शहरी कचरे की मदद से वहां एक बगीचा सजाकर लोगों को एक अनूठी जादुई दुनिया से रूबरू कराया था, जिसे आज हम रॉक गार्डन के नाम से जानते हैं। इस गार्डन का उद्घाटन 1976 में किया गया था।

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    नेकचंद अपने खाली समय में साइकिल पर बैठकर बेकार पड़ी ट्यूब लाइट्स, टूटी-फूटी चूडियों, प्लेट, चीनी के कप, फ्लश की सीट, बोतल के ढक्कन और अलग-अलग तरह के कचरे बीनते और उन्हें यहां सेक्टर एक में जमा करते रहते। वह इस कचरे से कलाकृतियां बनाना चाहते थे। उन्होंने अपनी सोच को आकार देने के लिए इन सामग्रियों को रिसाइकल करने की योजना बनाई और इसके फिर वह रोज रात को गुपचुप तरीके से साइकल पर सवार होकर जंगल के लिए निकल जाते। यह सिलसिला करीब 2 दशक तक चला।नेकचंद का 90वां जन्मदिवस चंडीगढ़ प्रशासन ने पिछले साल 15 दिसंबर को मनाया था। उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए रॉक गार्डन में लोगों की भीड एकत्र हुई थी जहां उन्होंने इस अवसर के लिए विशेष तौर पर बनवाया गया एक बडा केक काटा था।

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    नेक चंद को शुरुआत में अपनी इस रचना को बचाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इस बारे में 1975 में जब अधिकारियों को पता चला था तो उन्होंने इसे नष्ट करने की धमकी दी। उनका कहना था कि यह उन कडे नियोजन कानूनों का उल्लंघन है जो ली कोर्बुजिए की 'सिटी ब्यूटिफुल' की रक्षा के लिए बनाये गये थे, जहां यह अनिवार्य था कि हर चीज मास्टर प्लान का हिस्सा होनी चाहिए। नेक चंद फाउंडेशन के अनुसार उस समय कई राजनेताओं ने रॉक गार्डन को अवैध निर्माण बताकर उसे ढहाए जाने की मांग की थी, लेकिन यह उनकी मेहनत और लगन ही थी कि फिर अगले ही साल इसका उद्घाटन किया गया।

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    नेक चंद को उनके कार्यभार से मुक्त कर दिया गया और 'निर्माता-निदेशक' के तौर पर रॉक गार्डन का विस्तार जारी रखने के लिए उन्हें वेतन दिया जाता रहा। इसके अलावा उनकी कलाकृतियों को रॉक गार्डन में स्थापित करने में मदद करने के लिए शहर प्रशासन ने श्रमिक भी मुहैया कराए। इसके पश्चात नेक चंद के काम को समर्थन देने और रॉक गार्डन के बारे में विश्वभर में जागरूकता पैदा करने के लिए 1997 में नेक चंद फाउंडेशन का गठन किया गया जो कि एक पंजीकृत परमार्थ संगठन है। रॉक गार्डन का रख रखाव नेक चंद फाउंडेशन करता है।

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    इलेक्ट्रिकल वेस्ट से बनी है रॉक गार्डन की यह दीवार।

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    नेक चंद की अनूठी कला को वॉशिंगटन के नैशनल चिल्‍ड्रेन म्यूजियम समेत विदेश में कई संग्रहालयों में प्रदर्शित किया गया है।

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    अगर आप चंडीगढ़ जा चुके हैं, तो रॉक गार्डन जरूर देखा होगा। और जिन्होंने रॉक गार्डन नहीं देखा है, उन्होंने इसके बारे में कभी न कभी सुना जरूर होगा। नेक चंद की अथक मेहनत और उत्कृष्ट कलाकारी का जीता-जागता गवाह बन चुका है यह गार्डन। आगे क्लिक करके देखिए इस गार्डन की कुछ और तस्वीरें, जहां की अनूठा कलाकृतियों में नेक चंद की कलाकारी आज भी सांस लेती है...

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    नेक चंद की इक कलाकारी को देखकर शायद आपको भी चीन की टेराकोटा आर्मी की याद आ गई होगी।

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    ये कलाकृतियां तो बस कुछ नमूने भर हैं उस अनूठे कलाकार की अजब कलाकारी के। ऐसे कलाकार सदियों में कभी एक बार पैदा होते हैं। इस कला के लिए उस कलाकार के आगे सौ बार सिर झुकाने को मन करता है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।